नमश्कार विद्यार्थियों.............
मै विवेक निगम,, आप सभी को मेरे इस नए ब्लॉग में आमंत्रित करता हू। दोस्तों,,,,फिलहाल आप सभी काम्पिटटिव एक्जाम की तय्यारियो में जुटे होंगे,,,,,,,,आई.आई.टी जे.इ.इ के साथ ही अन्य परिक्साए नजदीक हैं....अब तो वक्त हो चला है की जितनी जल्दी हो सके आप अपने सारे टापिक रिवाइज कर उन्हें पक्का कर ले....बजाय इसके की आप कोई नया टापिक उठा कर उसपे गौर करे......बात रही नतीजों की...केवल यही लक्स निर्धारित करे की हमे जादा से जादा सवाल हल करने हैं,,,टाइम मनेजमेंट को मद्दे-नजर रखते हुए...........नतीजे भले ही कैसे हो,,,,अपने आप पे विस्वास रक्खे,,,,,उपरवाला आपको कामयाबी जरुर देगा.......
कोचिंग क्लासेज .... भले वो क्रेस कोर्स हो या २ इयेर आई.आई.टी जे.इ.इ। फाउंडेसन कोर्स....या बात करे ड्रापर बेच की......किसी भी संस्था का चुनाव करने से पहले उसके रिजल्ट्स एवं फेकल्टीज के बारे में जानकारी लेवे....इंदौर और देवास में तो कोने कोने,,,चप्पे चप्पे ,,,हर गल्ली मोहोल्ले में कोचिंग संस्थान खुले पड़े हें...सवाल ये उठता हे की भला हम कोंसी किलास जाईंन करे.... मेरी माने तो आप वाही जाईंन करे जिसमे आप खुद जानते हे की यही मेरे लिए बेहतर साबित होगी........ कोचिंग होते किस लिए हें यार....बस कुछ पल आप को गाईड करने या थोड़ी लिंक देंने या orientation बनाए रखने के लिए......आप तो उनसे यही उम्मीद लगा बैठते हें की ३-४ घंटे की किलास में आपकी पूरी पढ़ाई करा देंगे.....गलत फ़हमी काफी बच्चो में है...क्युकी वे कोचिंग को ही अपना सब कुछ मान के चलते हें.... दोस्तों...महनत एवं हिम्मत के बलबूते पर इंसान कितनी ही उचाइयां चछु सकता है....ठान लीजिये बस...के हमे २ वर्षो में आई.आई.टी जीतनी हे.....आपको संसार की कोई भी ताकत रोक नही सकती.........ज़रूरत है उस दृढ़-संकल्प की.....आई.आई.टी क्लेइएर कर आप अपने माँ-बाप को खुसिया दे सकते हे....जो आपने सपनो में नही सोचा होएगा.......ये एसा सफ़र हे....जिसमे आपको खुद अपने नक्से-कदम पे चलना होगा....कोचिंग वालो का तो बस एक ही काम हे.....सबसे क्रीम एवं टेलेंटेड बच्चे को चुनना और उसपे महनत करना....बाकी भले ही केसे हो,,,उन्हें तो बस ७-८ सिलेक्सनस की उम्मीद होती है....जिनसे कम से कम उनकी कोचिंग का नाम हो जाए....और जादा से जादा स्टुडेंट्स एडमिशन ले....
जैसा की आप इस चित्र में देख ही सकते हे.....आजकल का सिनारियो जो की काफी हद तक सभी परिवारों में देखा गया..... प्रेसर झेलना तो आजकल तो बच्चो की खासी समस्या बन चुकी हे...
आई.आई.टी निकालना कोई बच्चो का खेल थोड़ी है यार.....आपको अपनी तय्यारी के उस छोर तक जाना पड़ता है,,,जिसकी नीव का आप अंदाजा नहीं लगा सकते....साधारण विद्यार्थी जे.ई.ई की पढ़ाई को कुछ इस प्रकार से लेते मानो उन्हें पुस्तकों के पहाडो को खोद कर उन्हें ज्ञान की गंगा बहानी है,,,,,जबकि जे.ई.ई। में स्मार्ट वर्क की ज़रूरत होती है....कांसेप्ट जितनी जोर से पकडे रक्क्खेंगे उतना ही काम आपके लिए आसान होएगा.....जे.ई.ई। के सवाल मुस्किल नहीं अलग होते हैं....कोअचिंग वाले अक्सर कह देते हैं,,"कल आपका फुल लेंथ टेस्ट हे...जिसका स्कोर कट ऑफ से पार नहीं गया,,उस बन्दे के सिलेक्सन की गारेंटी हम नही लेंगे...." बच्चे अक्सर दर जाते हैं...उन्हें अपनी प्रिप्रसन पर सक होने लगता है.......टेंसन में आ कर वे डिप्रेसन का सिकार हो जाते हैं...काम्पिटिशन का भय दिन रात सताता है......इससे उनके स्वास्थ पे गहरा असर पड़ता है.....
हमे समझना होगा,,,,,हमे जानना होगा.....यदि हमे उस सिखर की ऊचाई को छूना है,,,,जिसका हमे अनुमान नहीं....हमे हर मोड़ पर,, सतर्क रहकर ,,, होसियारी से कदम बढाने होंगे....बाधाओं से विचलित ना होकर ....... हर स्थिति में अपना नियंत्रण बनाए रखना है...पढ़ाई को अपना धर्म समझ कर....उसे निभाना है..........सफलता पल दो पल की आहें नहीं....लम्बे समय की गुजारिश है.....